स्वतंत्र भारत के गुलाम छात्र

                            बाबासाहेब भीमराव अम्बेदकर विश्वविद्यालय के गुलाम छात्र

बाबासाहेब भीमराव अम्बेदकर विश्वविद्यालय,मुजफ्फरपुर बिहार लोकतांत्रिक या तानाशाही विश्वविद्यालय ?

नामांकन कराओ और चुपचाप रहो जब मन करेगा परीक्षा लेंगे नही तो नही लेंगे ऐसा हालत है इस विश्वविद्यालय की

 

बाबासाहेब भीमराव अम्बेदकर विश्वविद्यालय,मुजफ्फरपुर बिहार अपनी मनमानी के लिये प्रसिद्ध विश्वविद्यालय क्युकी यहां के कर्मचारी को छात्रो की भविष्य की कोई चिंता ही नही है आखिर इसमें गलती है किसकी ??

इसमें यहां  की कर्मचारी की गलती से ज्यादा छात्रो की भी है क्युकी हमलोग संगठित है ही नही जरूरी है तो एक संगठन की ..

 

                                         बहूनां चैव सत्वानां समवायो रिपुंजयः |

                                            वर्षधाराधरो मेघस्तृणैरपि  निवार्यते ||

 

अर्थ – बहुत से मनुष्यों का समूह ( संगठन ) – शत्रुओ को भी जीत लेता है , जैसे बादलो से होने वाली वर्षा की धारा को तिनकों के समूह ( छप्पर ) द्वारा रोक दिया जाता है |

 

व्याख्या – तिनका – बहुत ही छोटा सा , कमजोर , बलहीन होता है जिसे पानी आसानी से बहा देता है , लेकिन जब ढेर सरे तिनके एकत्रित हो जाते है ( छप्पर  का रूप धारण कर लेते है ) तो फिर उनके द्वारा भारी वर्षा से भी बचाओ किया जा सकता है |

उसी प्रकार से जब किसी परिवार या राज्य के मनुष्य अलग अलग बिखर जाते है तो उनकी शक्ति कुझ भी नही रह जाती लेकिन जब वही   सब लोग मिल जाते है तो उनका समूह ( संगठन, सम्मिलित बल ) अपने से भी अधिक शक्तिशाली शत्रु को पराजित कर देता है |

 

अर्थात संगठन के बल से ही परिवार-समाज-देश-धर्म की रक्षा हो सकती है | अतः योग्य मनुष्य को संगठित होकर रहना चाहिये |

 

अभी ठीक यही हालत हमारे इस बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर  विश्वविद्यालय,मुजफ्फरपुर  की है यहा के छात्र सब अलग अलग है इसीलिए इस विश्वविद्यालय के कर्मचारी अपनी मनमानी करते है और हमलोग की एक भी नही सुनते है क्युकी उनलोगों को हमारी फिक्र ही नही है हमलोग की भविष्य की चिंता ही नही है वही अगर हम सभी छात्र संगठित हो जाये तो विश्वविद्यालय हमलोग की जरुर सुनेगी और हमलोग का सत्र नियमित जरुर करेगी आवश्यकता है सभी छात्र के संगठित  होने का जब तक सभी छात्र संगठित होकर अपना योगदान नही देंगे हम सभी इस विश्वविद्यालय के इस भ्रष्टाचार से बाहर नही निकल सकते और अपने भविष्य को बर्बाद कर लेंगे तो छात्रो देर किस बात की हमलोगों को संगठित होना परेगा हमसभी के भविष्य के लिए अपने आने वाले छोटे भाई बहनों के लिए ……………..

 

याद कीजिये वो दिन जब हमारे देश पर मुगलों का शासन था और हिन्दुओ का जीवन अत्यंत दूभर हो रहा था तो उस समय शिवाजी महाराज ने दुर्बल हो चुके हिन्दुओ को संगठित किया और उनके  द्वारा मुग़ल सम्राज्य को समाप्त करके हिन्दू धर्म का पुनरुत्थान किया |

 

याद कीजिये वो दिन जब हमारे देश पर अंग्रेजो का शासन था तो उस समय अहिंसा की नीति के कारन देश का नाश हो रहा था तो उस समय नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने भारतीय लोगो को संगठित करके “भारतीय स्वन्त्रता सेना ” की स्थापना की और उसके द्वारा अंग्रेजो से युद्ध किया |

 

सारे दृष्टान्त आपके सामने है तो अब आपलोग ही सोचो आपको अपने भविष्य की रक्षा करनी है या इस विश्वविद्यालय की गुलामी करके खुद से समझौता करना है और अपने अधिकार से वंचित रहना है आखिर हमलोग शांत है क्यों ?

तो मेरे प्यारे मित्रो आइये और अपने अधिकार की रक्षा के लिए आवाज उठाये 

    

क्रांतिकारी का कोई समय नही होता

भीमराव अम्बेदकर बिहार विश्वविद्यालय का सेशन बहुत विलम्ब से संचालित होता है| परीक्षा विलम्ब से होता है परीक्षा विलम्ब से होने के बाद भी रिजल्ट आने में १ साल लगते है आखिर क्यू?
क्यू छात्रो के भविष्य के साथ खिलवार किया जाता है ?
क्या इस समस्या के बारे में किसी को मालूम नही है राजभवन क्या कर रहा है ?
क्या सरकार को मालूम नही सरकार क्या करती है राज्यपाल महोदय क्या करते है?
क्यू विश्वविद्यालय छात्रो के भविष्य के साथ खेल रहा है?
बोलने के लिए तो हमलोग आज़ाद देश के स्वतंत्र नागरिक है परन्तु विश्वविद्यालय ने तो छात्रो को अपना गुलाम बना रखा है ये गुलामी नही है तो क्या है जो पाठ्यक्रम ३ वर्षो का होता है उसमे ४ वर्ष से आधिक लगाया जाता है और क्षत्रो की कोई नही सुनता तो ये गुलामी ही है ना
                                     “ दाग लेकर गुलामी का क्यू हम जिए
                                           सोच कर रातो को नींद आती नही ’’
छात्रों सोचो अपने भविष्य के बारे में कोई कुछ नही करने वाला हमलोग को खुद करना होगा क्युकी इस विश्वविद्यालय के कर्मचारी सब तो छात्र की समस्या समझते नही क्युकी उनलोगों की तो लाइफ व्यवस्थित ढंग से चल रही है न उनलोगों का क्या है यह भविष्य तो हमलोग का खराब हो रहा है न !
विद्यार्थी वर्ग के पास बहुत शक्ति है उन्हें पहचाने, सबसे बड़ी संगठन है छात्र संगठन परन्तु सब संगठित नही है जिस दिन सभी विद्यार्थी संगठित हो गये न उस दिन से कोई गलती होगा ही नहीं सभी भ्रष्टाचार ख़त्म हो जायेंगे |
इस विश्वविद्यालय के आश्वासन से अब कुझ नही होगा बिना कुझ किये इस विश्वविद्यालय के कर्मचारी पदाधिकारी नही सुनेंगे और न ही वो हमलोग की समस्या समझेंगे ऐसा लगता है उन्होंने कोई पढाई किया ही नही जो छात्रो की भविष्य के साथ खेल रहे है आवाज़ ऊपर तक पहचानी होगी तब ही कुझ होगा|
प्रतिदिन छात्र समाचार पढ़ते ही है की इस यूनिवर्सिटी के बारे में हमेशा कुझ न कुझ होते ही रहता है कभी मुंबई में होमियोपैथी डॉक्टर F.I.R. तो कभी छात्र को फॉर्म भरने में समस्या क्युकी सेशन लेट के कारण सारी फॉर्म की डेट फ़ैल हो जाती है कभी बोला जाता है |

छात्रो कुझ तो करना होगा हमलोगों को जिससे की हमलोग के जो जूनियर छात्र आये कम से कम उनको तो कुझ फायदा हो उनका सेशन तो टाइम से चले इसीलिए संगठित हो और इस अनियमित यूनिवर्सिटी को सुधरने में अपना योगदान करे
एक कवि की बात याद आ रही है उसकी कुझ बातो को यहा समर्पित कर रहा हु —
                                   “ जिस कवि की कल्पना में हो प्रेम गीत
                                              उस कवि को आज तुम नकार दो
                                    भीगती नसों में आज फूलती रगों में आज
                                              आग की लापत तुम बघार दो ”

तो छात्रो क्या आप तैयार है अपने हक के लिए क्युकी अपने हक के बिना तो जानवर रहते है आखिर इस यूनिवर्सिटी के कारण हमलोग क्यू जानवर बने अपना हक कोई न दे तो छीन लेना चाहिए ….

REVENGE IN THE VOICE OF PAIN

आरक्षण : सहायता या विभाजन

हमारे देश के संविधान के रखवाले राजनीतिज्ञ ( नेता ) केवल जाति और धर्म के आधार पर आरक्षण देकर गुणी व्यक्तियों को पीछे धकेल रही है |

इसके फलस्वरूप हमारा प्यारा भारत देश जाति – धर्म , धनी-गरीब आदि के आधार पर और अधिक विभाजित  होता जा रहा है |

यह मेरी स्वंतंत्र अभिव्यक्ति है ये किसी की भावना को ठोस पहुचने के लिए नहीं है …….